रात अकेली नहीं होती ,
होते हैं ढेरों ख्वाब
तो आदमी !
उजाले में चमक नहीं होती ,
चमकते हैं तारे
डूबता है गर कोई ,
तो आदमी !
झूठ , झूठा नहीं होता ,
होते है ढेरों सच
झूठा होता है गर कोई ,
तो आदमी !
भाव बहते नहीं हैं ,
होता है ठहराव
बहता है गर कोई ,
तो आदमी !
प्रेम मैला नहीं होता ,
होता है पावन
मैला होता है गर कोई ,
तो आदमी !
काम छोटा नहीं होता ,
करने पर निर्भर है
छोटा होता है गर कोई ,
तो आदमी !
दोष किसका नहीं होता ?
होता हम सबका
पर बचता है गर कोई ,
तो आदमी !!