काला धन काली सरकार , काली सब करतूत, न जाने कब क्या कर बैठे, कांग्रेस का भूत.....

आदरणीय मित्रों एवं स्नेहीजन .....
              
                    पिछले तीन महीनों से कुछ नहीं लिख पाया और न ही ज्यादा समय ब्लॉग पर दे पाया , इसके लिए करजोर क्षमा ! देश में उभरे हालात एवं स्थितियों को ब्यक्त करती एक कविता आप के समक्ष प्रस्तुत है ....राजनीतिक ब्यंग्यों पर लिखी मेरी मंचीय रचनाओं में से एक.............

देश का हुआ विकास नाश देशवासियों का,
काला धन कलमुयें नेता भरने लगे !
राडिया ने रतन को राजा से मिलाया देखो,
कलमाड़ी और भी कमाल करने लगे !

सेना के जवान देश के लिए हैं देते जान,
आदर्श घोटाला चाहवान करने लगे !
दिग्विजय सिंह हिन्दू आतंक के नाम पर,
लादेन "जी" के नाम की अब माला जपने लगे !

शीला का गुमान आसमान चढ़ बोल रहा, 
दिल्ली पर राज अब दलाल करने लगे !
राहुल का करिश्मा बिहार में नहीं चला,
हाय हाय लालू पासवान करने लगे !

मुख्यमंत्री बनने की चाह जगी ममता में,
ध्वस्त हुई  रेल ,रेल घाटे बढ़ने लगे !
मायावती मूर्तियों के मोह में मगन हुईं,
अमर "जया" प्रेम में अकेले पड़ने लगे !

कल्याण मुलायम की चाल के हुए शिकार,
"नेताजी" आज़म साथ साथ चलने लगे !
संदेह सोनिया मनमोहन की नियत पे होता जब, 
थामस जैसे दागी रखवाली करने लगें !

दैत्य रुपी भ्रष्टाचार से बचाने देश अब,
कैग- कोर्ट- अन्ना- रामदेव दिखने लगे !
मिस्र की मिशाल ले के देश को बचाने हेतु,
"मिश्रा" की मशाल रुपी कलम लिखने लगे !!

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