जीवित होना मात्र,
लक्ष्य नहीं मेरा...
कुछ भले जज़बात,
भी तो चाहिए...
हजारों बंदिशों में,
जी रहा हूँ मैं अभी...
मर जाने के हालात,
यूँ न लाईये...
ज़माना है,
मेरा दुश्मन...
कि दुश्मन मैं,
जमाने का...
कोई बतला दे,
मुझको अंत...
इस अनचाहे,
फ़साने का...
कोशिश है मेरी,
अपना लें...
मुझको सब,
मेरे अपने...
हक़ीकत है नहीं,
कुछ भी...
पराये हो गए,
.......सपने !!!
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