दिल से....

तुम्हारे दिल की धड़कन को ,
अगर हम सुन नहीं पाये।
समझ लेना, हमारी शक़्ल में ,
फिर हम नहीं आये।।
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तुम्हारे दर्द - ए - उल्फ़त से ,
नज़र जो नम न हो पायीं।
वो आँखे गैर की होंगी ,
ये आँसू कम  नहीं आये।।
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मेरा अल्लाह तेरी रूह ,
मेरा सजदा तेरी चाहत।
मेरी हर नज़्म भी है तू ,
तेरी यादें मेरी दावत।।
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मेरी हर जुफ्तज़ू में ,
तेरी इनायत की तलबग़ारी।
ग़मज़दा हूँ,  पर ख्वाहिश है ,
तुझे ग़म छू भी न पाये।।
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अकेले इस जहाँ से ,
इश्क़ में तेरे, जो लड़ पाये।
शिक़ायत और शिकवों से ,
कभी आगे न बढ़ पाये।।
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झुका वज़ूद,   हर सिम्त ,
तेरी बेवफ़ाईओं से है।
ज़माना जानता है ,
हम यहाँ बेदम नहीं आये।।
************************ जारी ।। ....


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